संदेश

सितंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारतीय-मनीषा

चित्र
!!!---: भारतीय-मनीषा :---!!! ====================== शिक्षकः---- "वद केशव । किमिदं क्रीडनकम् ?" नहि नहि नहि एतत् संगणकम् । श्यामे ! त्वं वद । किं विदधाति ? प्रश्नानाम् उत्तरं ददाति । अंगुलिमिह गु़टके न्यस्यामि । क्रमशोSहं प्रश्नान् पृच्छामि । कोSसौ कोSसौ ? येन विरचिता अष्टाध्यायी सूत्रैः ग्रथिता । वाचयते लिखितं हरिशरणः "मुनिः पाणिनिः वैयाकरणः" । नाट्ये शिल्पे काSद्भुतरचना । "भरतनाट्य--- शास्त्रम् तत्प्रथना" ।। भैषज्ये कौ लोकविश्रुतौ । मुनिवर्यौ तौ चरकसुश्रुतौ ।। किं नामैतद् उपग्रहयानम् ? "आर्यभट्टम् विश्वेSर्जितमानम्" । आर्यभट्टः कः "ज्योतिर्विज्ञः ग्रहगतिकथनपटुः गणितज्ञः" गणिते या रचना विख्याता लीलावत्याः को निर्माता ? "आचार्योSसौ भास्करनामा तस्यैषा रचना अभिरामा...

जितेन्द्रियता

चित्र
!!!---: जितेन्द्रियता :---!!! ====================== "धनेन किं यो न ददाति नाश्नुते, बलेन किं यश्च रिपून् न बाधते । श्रुतेन किं यो न च धर्ममाचरेत्, किमात्मना यो न जितेन्द्रियो भवेत् ।।" इस श्लोक में प्रश्न के माध्यम से अच्छा धर्मोपदेश दिया गया है । इसके उत्तर भावरूप में इसी में सन्निहित है । उस धन से क्या लाभ, जिससे दूसरों को सहयोग न किया जाए और ना ही उसका उपभोग किया जाए । उस ले क्या लाभ, जिससे शत्रुओं को न मारा जाए और निर्बलों की रक्षा न की जाए । उस उपदेश से क्या लाभ, जिसे सुनकर धर्म का आचरण न किया जाए । उस आत्मा का क्या लाभ, जो जितेन्द्रिय न हो, अर्थात् जीवात्मा के होने में लाभ तभी है, जब आप जितेन्द्रिय हों । ============================== www.vaidiksanskrit.com =============================== हमारे सहयोगी पृष्ठः-- (१.) वैदिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/vaidiksanskrit (२.) वैदिक साहित्य और छन्द www.facebook.com/vedisanskrit (३.) लौकिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/laukiksanskrit (४.) संस्...