!!!---: मोदी का सूत्र : ---!!! ==≠================= नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में करोनाकाल में संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण किया था, " सर्वमात्मवशं सुखम्" आप लोगो को जानकारी न हो तो बता दूँ कि यह श्लोक मनुस्मृति (४/१६०) का है। नरेंद्र मोदी ने जो पढ़ा, वह श्लोक का एक चरण ही पढ़ा था, पूरा श्लोक इस तरह है :--- सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम् । एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः।। (मनुस्मृति ४/१६०) जो जितना परवश (दूसरे के अधीन) होना है, वह सब दु:ख और जितना स्वाधीन रहना है, वह सब सुख कहाता है । यही संक्षेप से सुख और दुःख का लक्षण जानो । स्वामी दयानंद का किया हुआ अर्थ :--- क्योंकि जो जो पराधीनता है, वह वह सब दुःख और जो जो स्वाधीनता है, वह वह सब सुख । यही संक्षेप से सुख और दुःख का लक्षण जानना चाहिए । ( सत्यार्थ प्रकाश ) मनुस्मृति का चौथा अध्याय मनुष्य द्वारा किये जाने वाले कर्म के बारे में है, जिसमें बताया है, मनुष्य को स्वाधीन कार्य करने चाहिए, जिससे सुख प्राप्त हो, भय, शंका, लज्जा आदि न हो। आत्मा को शांति मिले। आलस्य वृत्ति छोड़ देनी चाहिए । योगाचार्य डॉ. प