संदेश

नवंबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

निकृष्ट कौन है

चित्र
!!!---: निकृष्ट कौन है :---!!! ====================== इस संसार में निकृष्ट कौन  है ? संस्कृत के किसी कवि ने इस विषय में बहुत सुन्दर कहा है― "केचिद् वदन्ति धनहीनजनो जघन्यः । केचिद् वदन्ति जनहीनजनो जघन्यः ।। केचिद् वदन्ति दलहीनजनो जघन्यः । केचिद् वदन्ति बलहीनजनो जघन्यः ।। व्यासो वदत्यखिलवेदविशेषविज्ञः ।। नारायणस्मरणहीनजनो जघन्यः ।।" अर्थः--―कुछ लोग कहते हैं कि जिसके पास धन नहीं है, वह व्यक्ति निकृष्ट है। कुछ कहते हैं कि जिस व्यक्ति के पास पारिवारिक जन नहीं हैं, वह निकृष्ट है। कुछ व्यक्ति कहते हैं कि जिसके साथ कोई दल नहीं है, वह निकृष्ट (घटिया) है। कुछ कहते हैं कि जिसकी भुजाओं में शक्ति नहीं है, वह घटिया है। वेदविशेष अर्थात् ईश्वर को जानने वाले महर्षि वेदव्यास ने कहा है कि जो ईश्वर को स्मरण नहीं करता वह व्यक्ति निकृष्ट (घटिया) है !!!---: निकृष्ट कौन है :---!!! ====================== www.vaidiksanskrit.com इस संसार में निकृष्ट कौन  है ? संस्कृत के किसी कवि ने इस विषय में बहुत सुन्दर कहा है― "केचिद् वदन्ति धनहीनजनो जघन्यः । केचिद् वदन्ति जनहीनजनो जघन्यः...

ऐ भारतीयों, संस्कृत पढ लो---ज्ञान हो जाएगा

चित्र
!!!---: ऐ भारतीयों, संस्कृत पढ लो---ज्ञान हो जाएगा :---!!! ======================================= यदि आज काला धन रखने वाले संस्कृत पढ़े होते तो उनको ये दिन नहीं देखने पड़ते। भर्तृहरि कब के कह गए, किसी ने सुनी ही नहीं। ”दानं भोगो नाशस्तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥” (नीति-शतकम्) भर्तृहरि धन की तीन ही गतियाँ ही होती हैं - दान, भोग और नाश | जो व्यक्ति न तो धन को दान में देता है और न ही उस धन का उपभोग करता है, उसके धन की तीसरी गति ही होती है अर्थात उसका धन नष्ट हो जाता है॥ आज काले धन को जमा करने वाले भारतीय लोग कितने दुःखी है । इस बात से साबित हो जाता है कि भर्तृहरि सही कहते थे । ============================= www.vaidiksanskrit.com =============================== हमारे सहयोगी पृष्ठः-- (१.) वैदिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/vaidiksanskrit (२.) वैदिक साहित्य और छन्द www.facebook.com/vedisanskrit (३.) लौकिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/laukiksanskrit (४.) संस्क...