स्वजन शत्रु

!!!---: स्वजन शत्रु :---!!! ========================= "यद्भाषारचितं समीक्ष्य सुतरां "शाकुन्तलं" सुन्दरं, गेटेनृत्यदपारहर्षभरितः शाार्मण्यदेशः कविः । यस्याः सूक्तिसमुच्चयो विलिखितो जापानविद्यालय- व्राते भित्तिषु, सेह शासकजनैः हा नाश्यते निर्भयम् ।।" अर्थः----जिस भाषा में चे गए सुन्दर काव्य "आभिज्ञानशाकुन्तल" को देखकर जर्मनी देश का महाकवि "गेटे" अपार हर्ष विभोर होकर नाचने लगा था और जिस भाषा की सूक्तियाँ जापान देश के विद्यालयों की दीवारों पर अंकित की गई थीं, उसी भाषा की इस भारत देश के वर्त्तमान (65 वर्ष में) शासक निर्भय होकर नष्ट कर रहे हैं । ============================== www.vaidiksanskrit.com =============================== हमारे सहयोगी पृष्ठः-- (1.) वैदिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/vaidiksanskrit (2.) वैदिक साहित्य संस्कृत में www.facebook.com/vedisanskrit (3.) लौकिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/laukiksanskrit (4.) संस्कृत निबन्ध www.facebook.com/girvanvani (5.) संस्कृत सीखिए-- www.facebook....