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मई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वजन शत्रु

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!!!---: स्वजन शत्रु :---!!! ========================= "यद्भाषारचितं समीक्ष्य सुतरां "शाकुन्तलं" सुन्दरं, गेटेनृत्यदपारहर्षभरितः शाार्मण्यदेशः कविः । यस्याः सूक्तिसमुच्चयो विलिखितो जापानविद्यालय- व्राते भित्तिषु, सेह शासकजनैः हा नाश्यते निर्भयम् ।।" अर्थः----जिस भाषा में चे गए सुन्दर काव्य "आभिज्ञानशाकुन्तल" को देखकर जर्मनी देश का महाकवि "गेटे" अपार हर्ष विभोर होकर नाचने लगा था और जिस भाषा की सूक्तियाँ जापान देश के विद्यालयों की दीवारों पर अंकित की गई थीं, उसी भाषा की इस भारत देश के वर्त्तमान (65 वर्ष में) शासक निर्भय होकर नष्ट कर रहे हैं । ============================== www.vaidiksanskrit.com =============================== हमारे सहयोगी पृष्ठः-- (1.) वैदिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/vaidiksanskrit (2.) वैदिक साहित्य संस्कृत में www.facebook.com/vedisanskrit (3.) लौकिक साहित्य हिन्दी में www.facebook.com/laukiksanskrit (4.) संस्कृत निबन्ध www.facebook.com/girvanvani (5.) संस्कृत सीखिए-- www.facebook....

सफेद अश्व

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!!!---: सफेद अश्व :---!!! ============================= गाधि बडे प्रतापी और धर्मात्मा राजा थे । उनकी एक रूपवती और गुणवती कन्या थी---सत्यवती । जब वह विवाह योग्य हुई तो वनवासी वृद्ध ऋचीक मुनि राजा गाधि के पास गए । उन्होंने सत्यवती से विवाह की इच्छा व्यक्त की । गाधि सोचने लगे कि उनकी फूल सी कन्या वृद्ध ऋषि के साथ कैसे रहेगी । लेकिन वे यह भी जानते थे कि उन्हें मना नहीं किया जा सकता है । अतः वे कुछ बोले---"हे महर्षे , हमारे वंश की परम्परा है कि हम होने वाले दामाद से काले कानों वाले एक हजार सफेद अश्व लेते हैं । अगर आप यह शर्त पूरी कर दें तो सत्यवती का विवाह आपके साथ हो सकता है ।" महर्षि ऋचीक ने तपोबल से उसी समय वरुणदेव से एक हजार काले कानों वाले सफेद अश्व लेकर राजा गाधि को दे दिए । अब गाधि बाध्य थे । अतः उन्होंने विधिपूर्वक विवाह कर दिया । ऋचीक मुनि पत्नी को लेकर अपने आश्रम में लौट आए । राजा गाधि का कोई पुत्र नहीं था । सत्यवती जानती थी कि उसके पति ऋषि ऋचीक के पास तपोबल है । अतः एक दिन मौका पाकर उसने अपने पति ऋचीक से स्वयं के लिए एक पुत्र की इच्छ...