क्षमा उत्तम आभूषण है ।

!!!---: सूक्ति-सुधा :---!!! ====================== "नरस्याभरणं रूपं रूपस्याभरणं गुणः । गुणस्याभरणं ज्ञानं रज्ञानस्याभरणं क्षमा ।।" अर्थः---मनुष्य का आभूषण (गहना) उसका रूप है । रूप का आभूषण गुण है । गुण का आभूषण ज्ञान है । ज्ञान का आभूषण क्षमा है । जिस व्यक्ति के पास ज्ञान की पूर्णता होती है, उसके पास विनम्रता अवश्यमेव होती है, यदि ज्ञानी के पास विनम्रता न हो तो समझ लें कि वह ज्ञानी नहीं है---"विद्या ददाति विनयम् ।" विनयशील और ज्ञानी व्यक्ति ही क्षमा का अधिकारी भी होता है । उसके लिए क्षमा करना उसके ज्ञानव की पराकाष्ठा है । संसार में बार-बार यही देखा गया है कि ज्ञानी को ज्ञान का घमण्ड बहुत होता है, इस कारण थोडी-सी भी गलती को बढा-चढा कर बोलता है तो ऐसे व्यक्ति को ज्ञानी नहीं समझा जा सकता है । ऐसे व्यक्ति के पास केवल ठूँठ ज्ञान ही है, रटी हुई विद्या है, जबकि ज्ञान से अभिप्राय है कि ज्ञान को जीवन में , व्यवहार में उतार लिया जाए । ============================== www.vaidiksanskrit.com ==============================...