गरीबी अपमानजनक है
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"दौर्गत्यं देहिनां दुःखमपमानकरं वरम् ।
येन स्वैरपि मन्यन्ते जीवन्तोऽपि मृता इव ।।"
(पञ्चतन्त्रम्, मित्रसम्प्राप्तिः १०३)
दरिद्रता (गरीबी) मनुष्य के लिए सबसे अपमानजनक तथा दुःखद वस्तु होती है । दरिद्रता के कारण ही अपने सगे संबंधी जन मनुष्य के जीवित रहने पर भी उसको मृत के ही समान समझते हैं ।
लेखक :--- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री
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