सन्मित्र के लक्षण

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"पापान्निवारयति योजयते हिताय
गूह्यं निगूहति गुणान् प्रकटीकरोति ।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले
सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः ।।"

भर्तृहरि ने अच्छे मित्र के ये छः लक्षण बताएं हैं । ये छः लक्षण जिसके अंदर होते हैं । वही सही अर्थों में मित्र कहलाने के योग्य है :---


जो पापों से बचाए, पाप कर्म करने से बचाए और अच्छे कर्मों में लगा दे । छिपाने योग्य बातों को छुपाए और हमारे गुणों को समूह में प्रकट करे । आपत्तियां आने पर कभी साथ ना छोड़े और समय आने पर भरपूर सहयोग करें । सामान्य रूप से संत लोग अच्छे मित्रों के यही लक्षण बताते हैं ।

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