संदेश

जनवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Dil Se.....

चित्र
बस एक तिनका बिखर गया । घोंसला न जाने किधर गया ।। ख़ुशी की हर घड़ी वो साथ ले गयी, दर्द गहरा सा दिल में उतर गया l जिन्दगी भटकनो का नाम रह गयी, हमकदम भी साथ देने से मुकर गया l थका हुवा सा बदहवास चल रहा हु में, कारवां कही आराम लेने को ठहर गया । दोस्तों की भीड़ उसकी महफ़िल में चली गयी, मेरे आँगन में बस सन्नाटा पसर गया । वो किसी गैर के है गम नही 'प्रकुश' दिल उजड़ा तो क्या किसी का घर संवर गया । ============================== पृष्ठ पर जाएँ--- -------------- (1.) डॉ. प्रवीण शुक्ल www.facebook.com/kavipraveenshukla (2.) संवाद www.facebook.com/somwad (3.) दिल से www.facebook.com/dilorshayari समूह से जुडें--- ----------------- (1.)  दिल से संवाद https://www.facebook.com/groups/dilsesamwad (2.) डॉ. प्रवीण शुक्ला https://www.facebook.com/groups/praveenshukla

डॉ. प्रवीण शुक्ल

चित्र
आपकी सेवा में मेरी नई पुस्तक "क्या करेगी हवा" से कई शे'र हाजिर है कभी-कभी की बात नहीं है मेरे सँग अक्सर चलता है। घर से बाहर रहता हूँ तो मेरे भीतर घर चलता है ।। बीबी-बच्चों को सँग लेकर जब-जब भी बाजार गया, तब करके याद  धमाके मेरे भीतर-भीतर डर चलता है ।। जब भी तन्हाई में मेरे सँग उसकी यादेंं रहती हैं । चाँद-सितारे आगे-पीछे, कदमों में अम्बर चलता है ।। मानवता के लिए जिये जो गाँधी, गौतम, ईसा बनकर । उऩके संदेशों के पीछे इक पूरा लश्कर चलता है ।। दौलत-शोहरत एक तरफ रख, जिसने यहाँ फकीरी जी ली । ऐसा फक्कड, मस्त-कलन्दर कब किससे डरकर चलता है ।। अगर अदब में काम करोगे तुमको सदियाँ याद रखेंगी । बेअदबी से  सात पीढियाँ तक कब किसका जर चलता है ।। मेरे मुँह पर जिसने मेरी तारीफों के पुल बाँधें हैं । जरा पीठ फिरते ही उसका पीछे से खंजर चलता है ।। दौलत और ताकत के दम पर खुद को खुदा समझ बैठे जो भूल गये वो, जर्रा-जर्रा "उसकी" मर्जी पर चलता है ।। ================================= www.vaidiksanskrit.com
चित्र
घर भूल जाते हैं, हम घर का रास्ता भूलते जाते हैं हम घर का रास्ता रोज-रोज साल-दर-साल आगे बढते हुए उस सबकी तलाश में जो नहीं मिला हमें घर में घर एक स्मृति बनकर आता है पानी में डूबे हुए जहाज की तरह हिलती है घर की स्मृति झरता है घर हमारे मन में लोना लगे पलस्तर की तरह जब कुछ बचा लेने में सफल हो जाते हैं हम पूरी तरह बेघर होकर घर का रास्ता भूल जाने के बाद नीलाभ