उत्साह

अनिर्वेदः श्रियो मूलमनिर्वेदः परं सुखम् ।
अनिर्वेदो हि सततं सर्वार्थेषु प्रवर्तकः ।।

(वा.रा.सु.का.७/३)


उत्साह लक्ष्मी का मूल है, उत्साह ही परमसुख है, उत्साह ही हमेशा सही अर्थों का प्रवर्तक है ।

योगाचार्य डॉ. प्रवीण कुमार शास्त्री

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