सहोदर भ्राता

देशे देशे कलत्राणि देशे देशे च बान्धवाः ।
तं तु देशं न पश्यामि यत्र भ्राता सहोदरः ।।
(वाल्मीकीय रामायण, युद्धकाण्ड ५६/१३)


प्रत्येक देश में स्त्रियां व प्रत्येक देश में बंधु-बांधव मिल जाते हैं, लेकिन ऐसा देश नहीं दिखता, जहां सहोदर भाई प्राप्त हो जाएं ।

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