!!!---: परिश्रम से जीवन की सार्थकता :---!!! ============================= संकलनकर्ता :-- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥ सभी कार्य परिश्रम से सफल हो जाते हैं, केवल मन में इच्छा करने मात्र से नहीं । क्योंकि कहा गया है, सोए हुए सिंह के मुख में कोई पशु प्रवेश नहीं करता । संकलनकर्ता :-- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री इस दुनिया में सब कुछ एकदम से नहीं मिल जाता । परिश्रम करना पड़ता है और वह भी लगन से! सूरज भी एकदम से नहीं उग जाता, वह भी धीरे धीरे उठकर संसार को प्रकाशित करता है। अगर आप में धैर्य है, साहस है तो आप जीवन में नयी ऊंचाइयों को छू सकते हैं। संकलनकर्ता :-- योगाचार्य डॉक्टर प्रवीण कुमार शास्त्री श्रमेण लभ्यं सकलं न श्रमेण विना क्वचित् । सरलाङ्गुलिः संघर्षात् न निर्याति घनं घृतम् ॥ शरीर के द्वारा मनःपूर्वक किया गया कार्य परिश्रम कहलाता है । परिश्रम के बिना जीवन की सार्थकता नहीं है परिश्रम के बिना न विद्या मिलती है और न धन। परिश्रम के बिना खाया गया भोजन भी स्वादहीन होता है। अतः हमे...